लघुकथा पाठ एवं लघुकथा का आज : अनिल मीत
प्रगति मैदान में चल रहे "विश्व पुस्तक मेले" के हॉल संख्या-08 के भव्य सभागार देश की प्रमुख साहित्यिक संस्था "इंडियन सोसायटी ऑफ़ ऑथर्स" तथा "नेशनल बुक ट्रस्ट" के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम "रचना पाठ एवं कविता का वर्तमान" तथा "लघुकथा पाठ एवं लघुकथा का आज" विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। पहले सत्र की अध्यक्षता डाॅ0 मुक्ता, पूर्व निदेशक, हरियाणा साहित्य अकादमी ने की। मुख्य अतिथि थे प्रसिध्द शिक्षाविद् और साहित्यकार डाॅ0 हरीश अरोडा़, सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार, आलोचक और संपादक सुभाष चंदर जी। विशिष्ट उपस्थिति थी । संस्था के अध्यक्ष श्री लक्ष्मी शंकर वाजपेई जी एवं वरिष्ठ साहित्यकार आदरणीय सर्वेश चन्दौसवी की।
कार्यक्रम का आरम्भ सुषमा भंडारी द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से हुआ। अपने स्वागत संबोधन में संस्था के सचिव एवं वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ0 विवेक गौतम ने इस प्रकार के कार्यक्रमों की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए विपरीत मौसम में भी आए रचनाकारों का स्वागत किया । समारोह का संयोजन-संचालन सुप्रसिद्ध ग़ज़लकार अनिल वर्मा "मीत" ने किया।
अर्चना चतुर्वेदी, नेहा नाटा, भावना शुक्ला, श्रद्धा पाण्डेय, बबीता गर्ग, मुक्ता मिश्रा, बीना राघव, मुकेश मिश्र,नीता सैनी ने भी अपनी प्रभावशाली प्रस्तुती से कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की ।
चर्चा मे भाग लेते हुए श्री सुभाष चंदर, श्री लक्ष्मी शंकर वाजपेई, श्री अशोक भाटिया एवं श्रीमती कान्ता राय ने लघुकथा के महत्वपूर्ण आयामों पर विस्तार से प्रकाश डाला और युवा रचनाकारों का मार्गदर्शन किया।
इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार आदरणीय अशोक भाटिया जी द्वारा संपादित "कथा-समय दस्तावेजी़ लघुकथाएं " तथा सविता मिश्रा 'अक्षजा' के लघुकथा संग्रह "रोशनी के अंकुर" का भव्य लोकार्पण भी किया गया।
अंत में कार्यक्रम के संयोजक एवं संचालक अनिल वर्मा मीत ने कार्यक्रम को सफल बनाने के सभी रचनाकारों का आभार प्रकट किया साथ ही राष्ट्रीय पुस्तक न्यास,दिल्ली को भी साधुवाद दिया और कार्यक्रम को कवर कर रहे श्री जगदीश मीना जी एवं ट्रू मीडिया के प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित की।